“वेंकटेश्वर” – नाम ही काफी है श्रद्धा और आस्था जगाने के लिए।
तिरुपति बालाजी के रूप में पूजित श्री वेंकटेश भगवान का यह स्तोत्रम् न केवल श्रद्धालुओं के हृदय को शांति देता है, बल्कि उनके जीवन में सुख, समृद्धि और आशीर्वाद भी लाता है।
📖 वेंकटेश स्तोत्रम् – मूल संस्कृत पाठ:
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये॥
नमः श्रीवेंकटेशाय सर्वाभीष्टफलप्रद।
सर्वदुखप्रशमनं सर्वपापहरं शुभम्॥
धर्मार्थकाममोक्षाणां दातारं श्रीनिवासिनम्।
वेङ्कटाद्रिस्थितं देवं वन्दे वेङ्कटनायकम्॥
लक्ष्मीकान्तं जगन्नाथं सर्वलोकनमस्कृतम्।
वेदवेदान्तवेद्यं च नित्यं ध्यायामि वेंकटम्॥
बालाजीं भक्तसुलभं दयार्द्रं सर्वदेहिनाम्।
शरणागतवत्सलञ्च भक्ताभीष्टफलप्रदम्॥
🔍 अर्थ (सरल भाषा में):
- श्री वेंकटेश भगवान को नमस्कार, जो समस्त इच्छाओं की पूर्ति करने वाले हैं।
- वे समस्त पापों का नाश करते हैं और भक्तों को संकटों से उबारते हैं।
- वे चारों पुरुषार्थ – धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष – प्रदान करने में सक्षम हैं।
- लक्ष्मीपति होने के नाते वे सौभाग्य, शांति और समृद्धि के दाता हैं।
- उनका ध्यान करने से मन स्थिर होता है, और जीवन में संतुलन आता है।
🌟 वेंकटेश स्तोत्र के लाभ:
- 🧘♂️ मानसिक शांति: नियमित पाठ से चिंता और बेचैनी दूर होती है।
- 🙏 कष्ट निवारण: पारिवारिक, आर्थिक या शारीरिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- 💰 धन व समृद्धि: लक्ष्मीपति होने के कारण वेंकटेश भगवान की कृपा से लक्ष्मी प्राप्त होती है।
- 📿 आध्यात्मिक उन्नति: भगवान का स्मरण आत्मा को ऊंचा उठाता है।
🗓️ कब और कैसे करें पाठ?
- प्रतिदिन सुबह या शाम को स्नान के बाद शांत वातावरण में करें।
- दीपक जलाएं, तुलसी पत्र या पुष्प अर्पित करें।
- श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें – यह सबसे बड़ा नियम है।
📌 क्या आप जानते हैं?
👉 यह स्तोत्रम् दक्षिण भारत के मंदिरों में विशेष रूप से तिरुपति बालाजी मंदिर में गाया जाता है।
👉 वेंकटेश्वर स्वामी को विष्णु का साक्षात अवतार माना जाता है।
👉 श्रावण मास और व्रत के दिनों में यह स्तोत्र विशेष फलदायक माना गया है।
🙏 अंतिम विचार:
“श्रद्धा से बड़ा कोई मंत्र नहीं होता।“
श्री वेंकटेश स्तोत्र कोई मात्र पाठ नहीं, यह एक आत्मिक संवाद है – एक प्रार्थना है उस शक्ति से जो सब कुछ सुनती और सहारा देती है।